विविध लेख – व्रत, पर्व, त्यौहार, पूजा, अनुष्ठान आदि
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शीतला षष्ठी व्रत
शीतला षष्ठी व्रत
यह व्रत हमारे व्रतों की श्रृंखला में बढ़ा ही प्रभावशाली एवं पुण्यफल देने वाला है। जिसके प्रभाव से व्यक्ति की बड़ी-बड़ी बाधायें एवं बीमारियां भी ठीक हो जाती है। माँ शीतला की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिये इस व्रत का अनुष्ठान किया जाता है।
Read More ..मास शिव रात्रि व्रत
मास शिव रात्रि व्रत
यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने तथा वांछित कामनाओं की पूर्ति हेतु किया जाता है। वर्ष भर में वैसे 12 शिवरात्रि किन्तु अधिक मास को लेकर 13 शिवरात्रि हो जाती है। जिसमें विशेष रूप से फाल्गुन मास की
Read More ..माघी पूर्णिमा
माघी पूर्णिमा
यह पर्व मानव जीवन के धार्मिक सोपानों का विशालतम पर्व है। जहाँ सहर्ष हिन्दू ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों से लोग अपने जीवन को धन्य बनाने के लिये खिचें चले आते हैं। इस जीवन पथ पर चलते हुये जो तरह
Read More ..मौनी अमावस्या
मौनी अमावस्या
यह हमारे धार्मिक कृत्यों एवं स्नान दानादि का विशेष पर्व है। ज्योतिष शास्त्र एवं हिन्दूरीति रिवाजों के अनुसार प्रत्येक तिथि का महत्व उसके साथ विशेष कथानक से जुड़ा हुआ होता है। उसके साथ जहाँ लोक मान्यतायें
Read More ..श्रीकाल भैरवाष्टमी व्रत
श्रीकाल भैरवाष्टमी व्रत
यह व्रत भगवान श्रीकाल भैरव की कृपा प्रसाद पाने के लिये किया जाता है। जिसके प्रभाव से व्रती साधक को बड़े से बड़े संकटों से छुटकारा प्राप्त होता है। तथा साथ ही उसके ज्ञात एवं अज्ञात पापों का शमन भी हो जाता है। हिन्दू धर्म के
Read More ..कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा
हिन्दू धर्म के व्रत पर्वों के सोपान में यह सबसे श्रेष्ठ एवं सुखद सोपान है। इस तिथि को ही देवताओं को चुनौती देने वाले राक्षस समूह का संहार हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन से कार्तिम मास का स्नान एवं दानादि के क्रम
Read More ..देवोत्थान एकादशी
देवोत्थान एकादशी
यह पर्व श्री हरि विष्णू की भक्ति का सर्वोत्कृष्ट सोपान है। जो भक्ति पथ का बहुत ही प्रमुख अवसर होता है। इस अवसर के आते ही जहाँ भक्तों को श्री हरि विष्णू की भक्ति का एक बड़ा ही सुहाना अवसर प्राप्त होता है।
Read More ..श्री हरिबोधनी या देवोत्थान एकादशी
श्री हरिबोधनी या देवोत्थान एकादशी
यह पर्व श्री हरि विष्णू की भक्ति का सर्वोत्कृष्ट सोपान है। जो भक्ति पथ का बहुत ही प्रमुख अवसर होता है। इस अवसर के आते ही जहाँ भक्तों को श्री हरि विष्णू की भक्ति का एक बड़ा ही सुहाना अवसर प्राप्त होता है।
Read More ..अक्षय नवमी या आंवला नवमी
अक्षय नवमी या आंवला नवमी
यह व्रत हिन्दू धर्म का अति महत्वपूर्ण एवं उपयोगी व्रत है। जो कार्तिक माह के अति पवित्र महीने में आता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही अक्षय नवमी और कहीं-कहीं आंवले के महत्व के कारण इसे आंवला नवमी
Read More ..सौभाग्य पंचमी व्रत
सौभाग्य पंचमी व्रत
यह व्रत भारतवर्ष की अति पुनीत धरती पर महिलाओं के द्वारा विशेष रूप से अपने सौभाग्य की रक्षा हेतु किया जाता है। ऐसी आकांक्षाओं एवं सद्भावनों के कारण ही जीवन के तमाम कष्टों से छुटकारा प्राप्त होता है। चाहे वह महिलाओं के सुख
Read More ..करवा चौथ व्रत
करवा चौथ व्रत
यह व्रत परम पावन हिन्दू धर्म में सौभाग्य एवं सुख शांति की प्राप्ति हेतु किया जाता है। इसे भारत के कुछ प्रान्तों जैसे पंजाब,राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में विशेष रूप से किया जाता है। यह व्रत कार्तिक
Read More ..शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
यह पर्व हिन्दू धर्म का बेहद विशिष्ट एवं अमृत्व को प्राप्त कराने वाला सोपान है। जिससे श्रद्धालु भक्तों को शारीरिक एवं मानसिक शान्ति प्राप्त होती है। वर्ष पर्यन्त व्रत पर्वों की बड़ी ही महत्त्वपूर्ण श्रृंखला हमारे मध्य कई प्रकार के दुःख पीड़ाओं
Read More ..विजयादशमी या दशहरा
विजयादशमी या दशहरा
यह परम पुनीत पर्व हिन्दू धर्म में अधर्म के नाश एवं असत्य पर सत्य के विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार प्रति वर्ष जनमानस में सत्य, दया, पे्रम, उमंग, उत्साह को भरने तथा प्रत्येक बुराई एवं अधर्म से लड़ने का बहुत ही उत्कृष्ट
Read More ..जीवित्पुत्रिका व्रत
जीवित्पुत्रिका व्रत
यह व्रत हिन्दू धर्म में प्रत्येक घर में संतान की रक्षा एवं सुरक्षा हेतु किया जाता है। जिसके पुण्य प्रभाव से व्रती साधक को अत्यंत पुण्य राशि मिलती है। और उसके कुल धर्म एवं संतान की रक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित हो पाती है। ऐसे कोई संकट या
Read More ..अनंत चतुर्दशी व्रत
अनंत चतुर्दशी व्रत
यह हमारे व्रत एवं पर्व का बेहद पवित्र सोपान है। जो युग युगान्तरों से अविरल स्वच्छ नदी की तरह लोगों के लिये वरदान है। जहाँ प्रत्येक पिपासा से युक्त व्यक्ति को शांति मिलती है। ऐसा सुखद अनुभव एवं शांति जिसे
Read More ..पद्मा एकादशी व्रत
पद्मा एकादशी व्रत
यह व्रत मानव जीवन के मद एवं उसके अहंकार रूपी शत्रुओं का दमन करने वाला तथा उसे यथार्थ का ज्ञान कराने वाला होता है। क्योंकि अहंकार व अज्ञानता के तिमिर में डूबे हुये मनुष्य का पतन होने लगता है। और उसके
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