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सूर्य ग्रहण की महत्वपूर्ण एवं तथ्यात्मक जानकारी

Published On : February 13, 2017  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

सूर्य ग्रहण एवं पृथ्वी – 26 फरवरी 2017 को कंकण सूर्यग्रहण

हमारी पृथ्वी पर सूर्यादि ग्रहों का सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव सदैव से ही रहा है। सूर्यादि ग्रह नक्षत्रों पर घटने वाली घटनाओं से हमारी पृथ्वी अछूती नहीं रह सकती है। पृथ्वी पर पड़ने वाले शुभाशुभ प्रभाव से मानव जीवन सदैव ही प्रभावित होता रहता है। यह बात किसी से छुपी नही है। धरा पर रहने वाले प्राणियों में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है। जो सभी से अग्रणी है, उसकी सूझबूझ बड़ी ही उत्कृष्ट है, जिससे वह पृथ्वी सहित आकाशीय घटनाओं के बारे भी हानि-लाभ का भली-भांति मूल्यांकन करता रहता है। सूर्य व चंद्र ग्रहण ऐसी घटनाएं है। जिसको प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में हम समुद्र मे उठते हुए ज्वार भाटा में तो देखते ही हैं, साथ ही पृथ्वी पर होने वाले ऋतु परिवर्तन आदि भी सूर्यादि ग्रहों के कारण ही है। पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश, उसकी कल्याणकारी रश्मियां, सूर्योदय, सूर्यास्त, दिन-रात, शीत, घाम, वर्षा, हरियाली, पेड़, पौधे, जीव- जन्तु, विविध ऋतुओं की फसलें सहित सम्पूर्ण जीव जगत को ऊर्जावान करने की शक्ति सूर्य से ही प्राप्त होती है। यहा तक मनुष्य की आयु भी सूर्य द्वारा ही संलुतिल होती रहती है। जिसे हम प्रत्यक्ष रूप से देखते है। यदि सूर्य न हो तो हमे दिन-रात का क्रम, रोशनी, ऊर्जा आदि की प्राप्ति संभव नही हो सकेगी। अर्थात् मानव ही नहीं अपितु सम्पूर्ण जीव धारियों की यानी विश्व की आत्मा सूर्य को ही कहा जाता है- जैसे-सूर्यः आत्मा जगतस्थुषश्च। अतः सूर्य जगत् की आत्मा है और चंद्र इस संसार की माता है। दोनों ही ग्रहण से प्रभावित होते हैं और दोनों का हमारे जीवन में बड़ा ही महत्व है। अर्थात् पृथ्वी पर जीवन का सहारा सूर्य ही है। सूर्य के संदर्भं में प्राचीन काल से लेकर आज तक बड़ी खोजे हुई हैं। जो भारत में सबसे पहले हुई थी। सूर्य के विषय मे लेखको के लेख, कवियों की कविताएं, लोक, गीत, संगीत आदि भारत में सूर्य के महत्व को दर्शाते हैं। सूर्य हमसे हर पल जुड़े हुए हैं। हर रोज हर घर आंगन में प्रकाश फैलाकर नव जीवन का संचार करते है। जब सूर्य में ग्रहण हो तो भला पृथ्वी पर जीवन बिना प्रभावित हुए कैसे रह सकता है। आइए जाने इस वर्ष के सूर्य ग्रहण के विषय में। घर बैठे फ़ोन से जानिये अपनी जन्मपत्री का विस्तृत विवेचन एवं निश्चित समाधान । 

सूर्य ग्रहण का विस्तृत विवरण

सूर्य ग्रहण के विषय में वैदिक, पौराणिक, एवं ज्योतिषीय सहित वैज्ञानिक मत प्राप्त होते हैं। ऋग्वेद के अनुसार यह ज्ञान अत्रिमुनि को था, पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मत्स्यपुराण, देवीभागवत आदि पौराणिक ग्रथों में सूर्य ग्रहण के विषय में दान, जप, स्नान, तथा मानव जीवन में उसके पड़ने वाले प्रभाव के विषय में वर्णित किया गया है। साथ ही कई स्थानों में सूर्य ग्रहण के समय करने न करने वाले कार्यों का बड़ा विस्तृत विवेचन मिलता है, तथा गर्भवती स्त्री के संबंध में, बच्चों के संबंध मे तथा रोगी व बीमारों के संबंध में, करणीय अकरीय तथ्यों का पता चलता है।

यद्यपि आज का विज्ञान वैदिक व पौराणिक ग्रंथो से अधिक सरोकार न रखते हुए कुछ अपनी तरह की खोज व ठोस प्रमाण जुटाने में तत्पर दिखाई देता है। अर्थात् वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण वह घटना है। जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब अल्प समय ढ़कने के कारण सूर्य ग्रहण की स्थिति होती है। इस सूर्य ग्रहण को हम पूर्ण, आंशिक व वलयाकार के रूप में यथा समय देखते रहते हैं। सूर्य ग्रहण किसी माह की अमावस्या(कृष्णपक्ष) की तिथि में ही घटित होता है। सूर्य ग्रहण के लिए यह जरूरी है, कि चन्द्रमा का रेखांश राहू या केतू के पास होना चाहिए। मत्स्य पुराण के अनुसार राहु के कारण चंद्र ग्रहण और केतू के कारण सूर्य ग्रहण की घटनाएं होती घटती हैं।  प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा युगों पहले अर्जित ग्रह, नक्षत्रों का खगोलीय ज्ञान आज भी सत्य रूप में अपने आप ही प्रमाणित होता रहता है। किसी व्यक्ति या संस्था के प्रमाण की उसे आज भी दरकार नहीं है। न ही किसी के मानने या न मानने से संबधित सूर्यादि ग्रहण की घटनाओं को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है। सूर्य ग्रहण का असर बड़ा ही प्रभावी होता है, यह ऐसी घटना है जिससे प्रत्येक देश, प्रदेश व व्यक्ति स्त्री व पुरूष प्रभावित होते रहते है। चाहे वह सामान्य जन हो या फिर कोई ज्ञानी, पहुंचे हुए राजनेता, मंत्री, सैनिक, चिकित्सक हो, सभी को किसी न किसी रूप में सूर्य ग्रहण का शुभाशुभ प्रभाव प्राप्त होता ही है। सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के हेतु सूर्य से संबंधित मंत्रों जैसे-“ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” का जप यथा शक्ति करना चाहिए और दान देने की वस्तुएं का दान देना चाहिए। ग्रहण में तीर्थ स्थानों प्रयाग (इलाहाबाद), कुरूक्षेत्रादि पवित्र गंगा-यमुना के जल हरिद्वार में स्नान करने व दानादि देने अनिष्ट दूर होता है, शुभ फल की प्राप्ति होती है। किन्तु ग्रहण को बिना किसी यंत्र के सहारे नहीं देखना चाहिए। ग्रहण प्रारम्भ होने के 12 घंटे पहले ही सूतक शुरू हो जाते हैं, जिससे सभी प्रकार की खाने-पीने की वस्तुएं दूषित हो जाती है। किन्तु संबंधित खाने-पीने की वस्तुओं में कुशा या फिर गंगा जल डाल देने से वह खराब नहीं होती है। ग्रहण से पहले पकाएं गए भोजन को बचाकर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि वह पूर्णरूप से ग्रहण के प्रभाव से दूषित हो जाते है। क्या आप अपने जन्मपत्री मे करियर, व्यवसाय, विवाह, वित्त आदि अनेकानेक जानकारियाँ एवं अपनी समस्याओं का निश्चित समाधान चाहते है, तो पवित्र ज्यातिष केंद्र से संपर्क करे । 

पौराणिक कथानक

मत्स्यपुराण के अनुसार राहु (स्वरभानु) नामक दैत्य द्वारा देवताओं की पंक्ति मे छुपकर अमृत पीने की घटना को सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया और देवताओं व जगत के  कल्याण हेतु भगवान सूर्य ने इस बात को श्री हरि विण्णु जी को बता दिया। जिससे भगवान उसके इस अन्याय पूर्ण कृत से उसे मृत्यु दण्ड देने हेतु सुदर्शन चक्र से वार कर दिया। परिणामतः उसका सिर और धड़ अलग हो गए। जिसमें सिर को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना गया। क्योंकि छल द्वारा उसके अमृत पीने से वह मरा नहीं और अपने प्रतिशोध का बदला लेने हेतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रसता हैं, जिसे हम सूर्य या चंद्र ग्रहण कहते हैं। इस तथ्य की पुष्टि इस श्लोक द्वारा होता है-

तस्य  कण्ठमनुप्राप्ते दानवस्यामृते तदा।

आख्यातं चंद्रसूर्याभ्यां सुराणां हितकाम्यया।।

वैदिक व पौराणिक ग्रथों में ग्रहण के संदर्भ में कहा गया है। कि ग्रहण काल मे सौभाग्यवती स्त्रियों को सिर के नीचे से ही स्नान करना चाहिए, अर्थात् उन्हें अपने बालों को नहीं खोलना चाहिए, जिन्हें ऋतुकाल हो ऐसी महिलाओं को जल स्रोतों में स्नान नहीं करना चाहिए। उन्हे जल स्रोतों से बाहर स्नान करना चाहिए। सूतक व ग्रहण काल में देवमूर्ति को स्पर्श कतई नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल में भोजन करना, अर्थात् अन्न, जल को ग्रहण नहीं करना चाहिए। सोना, सहवास करना, तेल लगाना तथा बेकार की बातें नहीं करना चाहिए। बच्चे, बूढे, रोगी एवं गर्भवती स्त्रियों को आवश्यकता के अनुसार खाने-पीने या दवाई लेने में दोष नहीं होता है। सावधानी-गर्भवती महिलाओं को होने वाली संतान व स्व के हित को देखते हुए यह संयम व सावधानी रखना जरूरी होता है कि, वह ग्रहण के समय में नोकदार जैसे सुई व धारदार जैसे चाकू आदि  वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस समय उन्हें प्रसन्नता से रहते हुए भगवान के चरित्र को स्मरण करना चाहिए। रोना चिल्लाना, झगड़ना व अप्रसन्नता से बचना चाहिए, साथ ही ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने हेतु लाल रंग वाले गेरू को पानी में मिलाकर उदरादि स्तनों में थोड़ा सा लगाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के एक दिन पहले और ग्रहण के दिन तथा इसके पश्चात् तीन से चार दिनों तक किसी शादी व मंगल कार्य को व किसी व्रत की शुरूआत तथा उसका उद्यापन वर्जित रहता है। अर्थात् देव व संस्कृति में आस्था रखने वालों को यथा सम्भव नियमों का पालन करना चाहिए। जिन्हें लगता है, कि इससे कुछ नहीं होता उन्हें ग्रहण से संबंधित पुराणों व साहित्यों को पढ़ना चाहिए फिर उसके निष्कर्ष को लोगों के मध्य प्रस्तुत करना चाहिए। घर बैठे फ़ोन से जानिये अपनी जन्मपत्री का विस्तृत विवेचन एवं निश्चित समाधान । 

विभिन्न राशियों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव

सूर्य ग्रहण का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर अवश्य पड़ता हैं, चाहे वह जहाँ घटित हो रहा हो, यदि ग्रहण भारत व उसके संबंधित प्रदेशों या देशों में घटित हो रहा हैं, तो उसकी तीव्रता के अनुसार मेष से मीन राशि पर्यन्त शुभाशुभ फल घटित होता रहता है। जिससे प्रत्येक राशि के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में फल कथन का विधान रहता है। वैसे इस वर्ष 26 फरवरी 2017 को कंकण सूर्यग्रहण घटित होगा। जो फाल्गुन मास की अमावस के दिन रविवार को होगा। इस ग्रहण के भारत मे दृश्य न होने से इस कंकण सूर्य ग्रहण का कोई धार्मिक कार्य जैसे-स्नान, दान नहीं रहेगा। किन्तु पितृ कार्य हेतु अमावस को दान व पितृ तर्पण करना लाभदायक रहेगा। इस कंकण सूर्यग्रहण को दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका, दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी-पश्चिमी देशों (ब्राजील आदि) में प्रशान्त एटलांटिक एंव हिन्द महासागर तथा अण्टाक्र्टिका में दिखाई देगा। भारतीय स्टै0 टाइम के अनुसार इस सूर्य ग्रहण के शुरू व समाप्त होने का विवरण इस प्रकार रहेगाः-ग्रहण का प्रारम्भ सायं 05-41 से कंकण प्रारम्भ सायं 06-46 से परम ग्रास रात्रि 08-11 तक, कंकण समाप्त रात्रि 10-01 तक, ग्रहण समाप्त रात्रि 11-06 तक में।

नोटः भारत में इस कंकण ग्रहण के दृष्टिगोचर नहीं होने से संबंधित राशियों में इसका शुभाशुभ फल कथन नही किया जा रहा है।

स्पष्ट है कि अच्छे कर्मरत एवं ज्योतिषीय मार्गदर्शन का लाभ लेकर आप भी निश्चित ही सुखद जीवन व्यतीत कर सकते है। हमारी तरफ से आपको प्रेरक एवं पथप्रदर्शक शुभकामनाये । पवित्र ज्योतिष केंद्र से आप भी जानिये अपनी जन्मपत्री की विस्तृत जानकारी एवं आपकी समस्याओं का निश्चित समाधान पाइए  

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