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माँ दुर्गा के नौ रूपों की महिमा

Published On : April 9, 2024  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

चैत्र नवरात्री में माँ दुर्गा के नौ रूपों की महिमा के बारे में बता रहे हैं पंडित उमेश चंद्र पंत

हिन्दू धर्म में नवरात्री उत्सव एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें माँ शक्ति की नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्री नौ देवियों की उपासना के लिए एक विशेष समय है, जिसमें शक्ति के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं माँ दुर्गा के नौ रूपों का संक्षिप्त विवरण।

प्रथमं शैलपुत्री द्वितीयं ब्रह्माचारिणी। तृतीय चंद्रघण्टेति, कुष्माण्डेति चतुर्थकम्। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रि, महागौरीति चाऽष्टम्। नवमं सिद्धिदात्री नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।

आइये जानते हैं माँ दुर्गा के नौ रूपों की महिमा

माँ शैलपुत्री की महिमा

माँ शैलपुत्री नवरात्र के प्रथम दिन की प्रथम देवी हैं। उन्हें ‘शैलपुत्री’ के रूप में भी जाना जाता है, जो कि ‘शैल’ (पर्वत) के पुत्री का अर्थ होता है। माँ शैलपुत्री का ध्यान करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आराधना से भक्त को संगीत, कला, और सौंदर्य की कला में समर्थ बनाने की प्राप्ति होती है।माँ शैलपुत्री का रूप स्वर्णमय पात्र में होता है, और उनके द्वारा देवी दुर्गा के प्रथम रूप को पूजा जाता है। उनकी प्रतिमा के दोनों हाथ में त्रिशूल होता है और वह वाहन के रूप में वृषभ का आवाहन करती हैं।

शैलपुत्री माँ को उपासना करते समय देवी के नाम का जाप किया जाता है और उन्हें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और चंदन आदि से आराधित किया जाता है। उनकी उपासना करने से भक्त को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद से वह सभी कष्टों और दुःखों से मुक्ति प्राप्त करता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की महिमा

माँ ब्रह्मचारिणी नवरात्र के दूसरे दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की द्वितीय स्वरूप हैं और उन्हें “ब्रह्मचारिणी” के नाम से भी जाना जाता है। इनका नाम “ब्रह्मचारिणी” का अर्थ होता है “ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली”। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है और उनकी उपासना से विवाह, संतान, और धर्म के प्राप्ति में सहायक होती है।माँ ब्रह्मचारिणी का रूप साधु संत के समान और पवित्र होता है। उनका दूसरा हाथ भगवान शिव के त्रिशूल को पकड़ा होता है, जबकि पहला हाथ कमंडलु लेकर होता है। वे संतान से युक्त एक संतानजनक स्वरूप में जानी जाती हैं और उनकी पूजा से विवाह और संतान की प्राप्ति में सहायक होती है।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान, उन्हें फूल, चंदन, रंगों की रखा, और मिठाई आदि से आराधित किया जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से उन्हें सभी संतानिक और विवाहिक समस्याओं का समाधान मिलता है और वे धर्म के प्राप्ति में सहायक होती हैं।

माँ चंद्रघंटा की महिमा

माँ चंद्रघंटा नवरात्र के तीसरे दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की तीसरी स्वरूप हैं और उन्हें “चंद्रघंटा” के नाम से भी जाना जाता है। इनका नाम ‘चंद्र’ (चंद्रमा) और ‘घंटा’ (बेलनाद) से मिलकर बना है, क्योंकि उनकी मूर्ति में चंद्रमा की प्रतिमा और उनके मुख पर बेलनाद है। *माँ चंद्रघंटा का रूप बहुत ही प्रशांत और सुंदर होता है। उनके दोनों हाथ में त्रिशूल होता है और उनके मुख पर सदैव मुस्कान होती है। वे उपर से दीव्य रूप में अद्भुत नजर आती हैं और भगवान शिव की आराधना करती हैं।

माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है और उन्हें धूप, दीप, फल, मिठाई, और पुष्प आदि से आराधित किया जाता है। माँ चंद्रघंटा की उपासना करने से भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है और उन्हें आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

माँ कूष्माण्डा की महिमा

माँ कूष्माण्डा नवरात्र के चौथे दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की चौथी स्वरूप हैं और उन्हें “कूष्माण्डा” के नाम से भी जाना जाता है। माँ कूष्माण्डा की उपासना का महत्व विवाह, संतान, समृद्धि, और धन संपत्ति की प्राप्ति में माना जाता है। माँ कूष्माण्डा का रूप अद्भुत और भयंकर होता है। उनका वाहन शेर होता है और उनके एक हाथ में खड़ा लाल अश्व होता है। उनके मुख पर सदैव मुस्कान होती है और उनका रंग सुनहरा होता है।

माँ कूष्माण्डा की पूजा के दौरान, उन्हें सिंधूर, चंदन, कुमकुम, फल, और मिठाई आदि से आराधित किया जाता है। माँ कूष्माण्डा की कृपा से सभी रोगों और बुराईयों से मुक्ति प्राप्त होती है और भक्तो को समृद्धि, संतान, और धन की प्राप्ति होती है।

माँ स्कन्दमाता की महिमा

माँ स्कन्दमाता नवरात्र के पाँचवें दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की पाँचवी स्वरूप हैं और उन्हें “स्कन्दमाता” के नाम से भी जाना जाता है। माँ स्कन्दमाता की उपासना से भक्तों को समस्त संदेहों और विघ्नों से मुक्ति मिलती है और उन्हें संतान, सौभाग्य, और सफलता की प्राप्ति होती है। माँ स्कन्दमाता का रूप दिव्य और प्रकाशमय होता है। उनके दोनों हाथों में चंद्रशाला होती है, जिसका मतलब है कि वे चांद के समान अत्यंत प्रकाशमय हैं। उनके प्रत्येक हाथ में एक द्विपद का वाहन होता है, जो उनके पुत्र स्कंद को संदर्भित करता है।

माँ स्कन्दमाता की पूजा के दौरान, उन्हें मिठाई, फल, पुष्प, और धूप आदि से आराधित किया जाता है। माँ स्कन्दमाता की कृपा से उन्हें संतान सुख, सफलता, और प्रगति मिलती है।

माँ कात्यायनी की महिमा

माँ कात्यायनी नवरात्र के छठे दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की छठी स्वरूप हैं और उन्हें “कात्यायनी” के नाम से भी जाना जाता है। माँ कात्यायनी की उपासना से भक्तों को समस्त मानवीय और आध्यात्मिक अभिवृद्धि की प्राप्ति होती है। माँ कात्यायनी का रूप दिव्य और उदार होता है। उनके चेहरे पर सदैव प्रकाशमय मुस्कान होती है और उनके दोनों हाथों में खड़ा विशाल चाक्र होता है, जो उनके अत्यंत शक्तिशाली होने का प्रतीक है।

माँ कात्यायनी की पूजा के दौरान, उन्हें फल, फूल, धूप, और दीप आदि से आराधित किया जाता है। माँ कात्यायनी की कृपा से भक्तों को सभी कष्टों और संघर्षों से मुक्ति मिलती है और उन्हें संतुष्टि, शक्ति, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

माँ कालरात्रि की महिमा

माँ कालरात्रि नवरात्र के सातवें दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की सातवीं स्वरूप हैं और उन्हें “कालरात्रि” के नाम से भी जाना जाता है। माँ कालरात्रि की उपासना से भक्तों को समस्त भय, भ्रम, और अज्ञान से मुक्ति मिलती है और उन्हें समृद्धि, शक्ति, और साहस की प्राप्ति होती है। माँ कालरात्रि का रूप भयंकर और उग्र होता है। उनके चेहरे पर सदैव खोटी होती है और उनके नेत्रों से ज्वालामुखी के समान आग की भांति बह रही होती है। उनके दोनों हाथों में खड़ा विशाल चक्र होता है, जो अश्विनी कुमारों के संग्रहक होते हैं।

माँ कालरात्रि की पूजा के दौरान, उन्हें फूल, फल, धूप, और दीप आदि से आराधित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि माँ कालरात्रि की कृपा से उन्हें सभी अनिष्टों और बुराईयों से मुक्ति मिलती है और वे शक्ति, साहस, और धैर्य की प्राप्ति होती है।

माँ महागौरी की महिमा

माँ महागौरी नवरात्र के आठवें दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की आठवीं स्वरूप हैं और उन्हें “महागौरी” के नाम से भी जाना जाता है। माँ महागौरी की उपासना से भक्तों को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें शुद्धि, शक्ति, और सच्चे मनोवैज्ञानिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। माँ महागौरी का रूप शांतिपूर्ण और पवित्र होता है। उनके चेहरे पर सदैव प्रकाशमय मुस्कान होती है और उनके हाथों में त्रिशूल होता है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है। वे साथ में वृषभ के रूप में अपने वाहन पर बैठी होती हैं।

माँ महागौरी की पूजा के दौरान, उन्हें सफेद रंग के फूल, धूप, दीप, और फल आदि से आराधित किया जाता है। माँ महागौरी की कृपा से भक्तों को सभी दुःखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है और वे शांति, शक्ति, और आत्मशुद्धि की प्राप्ति होती है।

माँ सिद्धिदात्री की महिमा

माँ सिद्धिदात्री नवरात्र के नौवें और अंतिम दिन की देवी हैं। वे देवी दुर्गा की नौवीं और अंतिम स्वरूप हैं और उन्हें “सिद्धिदात्री” के नाम से भी जाना जाता है। माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्तों को समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है और उन्हें धन, संतान, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माँ सिद्धिदात्री का रूप दिव्य और प्रकाशमय होता है। उनके चेहरे पर सदैव मुस्कान होती है और उनके दोनों हाथों में वरदान का प्रतीक, अद्भुत बलियाँ होती हैं।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा के दौरान, उन्हें मिठाई, फल, फूल, और धूप आदि से आराधित किया जाता है। माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और वे जीवन में सम्पूर्ण सुख-शांति का अनुभव करते हैं।

इस प्रकार चैत्र नवरात्री में नौ नव देवियों की उपासना करना हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह परंपरागत रूप से नौ देवियों की पूजा और उनकी उपासना का महत्व बताता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानविक, और धार्मिक दृष्टिकोण से समृद्धि और उत्कृष्टता की प्राप्ति में मदद करता है। इस प्रकार, नौ नव देवियों की उपासना साधक को आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर ले जाती है। आप भी माँ दुर्गा की नौ दिन उपासना करके माँ की अनंत कृपा पा सकते हैं।

पंडित उमेश चंद्र पंत

पंडित उमेश चंद्र पंत दिल्ली, भारत में एक प्रसिद्ध ज्योतिषी हैं जिन्होंने विभिन्न ज्योतिष विधाओं में विशेषज्ञता प्राप्त की है। उन्हें जन्मकुंडली, वास्तु, रत्न और ग्रह शांति जैसे विभिन्न ज्योतिषीय मामलों में विशेष रूप से दक्षता हासिल है। उनके पास विस्तृत ज्ञान और अनुभव है जो लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान प्रदान करने में मदद करता है। पंडित उमेश चंद्र पंत को उनके अच्छे ज्योतिषीय समाधान के लिए प्रसिद्धि की प्राप्ति हुई है। उनके उपाय और सलाह लोगों को जीवन की समस्याओं का समाधान देने में सहायक होते हैं। उनका उद्देश्य लोगों को संतुष्टि और अच्छे समाधान प्रदान करना है। वे अपने विशेष ज्ञान और निष्ठा के लिए प्रसिद्ध हैं, जो उन्हें ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख नाम बनाता है।

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