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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जयंती

Published On : April 25, 2024  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जयंती एवं उसका महत्व

भारत वर्ष की अति पुनीत धरती में जन्म लेने वाले बाल गंगाधर तिलक की शिक्षायें एवं समाज को राह दिखाने के प्रयासों को आज भी लोग भारत मे नमन करते है। उनकी जन्म जयन्ती पर अनेक स्थानों में उत्सवों का आयोजन किया जाता है। यह बड़े ही राष्ट्रवादी एवं समाज सुधारकों में से एक है। यह पहुंचे हुये वकील एवं भारत के स्वाधीनता संग्राम मे बड़ी ही अहम भूमिका निभाने वाले थे। उन्होंने स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार का नारा दिया था। जिससे अनेकों लोगों ने इसे समझा और देश की स्वतंत्रा के ताने बाने बुनने लगे थे। तथा अंग्रेजी शासन के चंगुल से देश को आदाज करने के लिये हर सम्भव प्रयासों को किया था। उनकी पकड़ मराठी भाषा में बड़ी अधिक थी। इनका जन्म 23 जुलाई 1856 में महाराष्ट्र के रत्नगिरी जिले में हुआ था। इन्होंने आधुनिकता की शिक्षा उस समय अर्जित की थी। किन्तु अंग्रेजी शिक्षा एवं संस्कृति के धुर विरोधियों में से एक थे। यह कहते थे कि अंग्रेजी शिक्षा में भातर एवं भारतीयता का ज्ञान नहीं है। यह अपने समय में स्कूलों के अच्छे शिक्षक थे। तथा सम्पूर्ण भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिये दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना करने में बड़ी ही महत्वूर्ण भूमिका निभाई थी। यह राजनीति के क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभाने वाले थे। यह राष्ट्रीय कांग्रेस के नर्म रवैयें के कारण उससे विरोध करते थे और स्पष्ट तौर पर देश हित एवं अपने स्वत्रंता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध थे। जिसे इन्हें कांग्रेसियों ने गरम दल का नेता घोषित कर दिया था। और इनकी विचार धारा से प्रेरित होकर लाला लाजपत और विपिन चन्द्र पाल भी इन्हें सहयोग देने लगे थे। तथा खुदीराम बोस के द्वारा अग्रेजों के विरूद्ध उठायें गये कदमों की सराहना करते थे। इन्होंने देश एवं समाज के सुधार हेतु अनेकों पुस्तकों की रचना की थी। तथा देश को बाहरी आक्रमण एवं अन्याय से बचाने के लिये इन्होंने कई बार कठिन संघर्षो से गुजरना पड़ा तथा जेल मे रहकर उस समय के अंग्रेजी प्रशासन के प्रताड़ना को सहना पड़ा। किन्तु ऐसे धीर एवं गम्भीर लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक अपने लक्ष्य से कभी पीछे नहीं हठे इनकी अनेकों रचनायें आज भी शिक्षा एवं देश भक्ति की अलख को लोगों के मध्य जगा रही हैं। जिससे इनकी जन्म जयन्ती का बड़ा ही महत्व है। देश की स्वतंत्रा एवं सुधारों के लिये प्रयास करने वाले बालगंगाधर तिलक जी ने इस धरती को 1 अगस्त 1920 ई. मे अलविदा कह दिया। जिससे उनके चाहने वाले में शोक की लहर दौड़ गयी। श्री बाल गंगाधर तिलक की शिक्षायें एवं स्वतंत्रता के संघर्ष को कभी भी यह भारतीय जन मानस नहीं भूल पायेगा। यह सदैव ही अपने त्याग एवं बलिदानों के लिये भारत देश में याद किये जायेगे। उनके स्मरण में भारत सरकार ने कई स्थानों में स्मारकों एवं ट्रेनों को भी चला रखा है।

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