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बुद्ध जयंती

Published On : April 18, 2024  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

बुद्ध जयन्ती एवं उसका महत्व

भगवान बुद्ध की जन्म जयन्ती भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में मनाई जाती है। भगवान बुद्ध के आदर्श एवं सिद्धान्तों का पालन करने वाले विश्व के अनेक देशों के लोग इस जयन्ती को बड़े ही हर्षोल्लास एवं धूम-धाम से मनाते हैं। यह बौद्ध धर्म के आस्था का अद्भुत त्यौहार है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. वैशाख महीने की पूर्णिमा में लुंबिनी नामक स्थान में हुआ था। जो कि नेपाल में है। भगवान बुध अपने बचपन से ही बड़े ही प्रतिभा सम्पन्न एवं अति कुशाग्र बुद्धि के थे। श्री हरि विष्णू के यह प्रमुख अवतारों में से एक हैं। इनके ज्ञान एवं पवित्र उपदेशों से न केवल बौद्ध धर्म के लोग बल्कि हिन्दू धर्म के लोग भी प्रभावित हैं और अन्य विष्णू के अवतारों की तरह भी उनकी पूजा उपासना होती है। तथा उनकी प्रतिमा लगभग हिन्दू परिवारों में आसानी से मिल जाती है। इनके जन्म एवं आत्म ज्ञान तथा मृत्यु यानी निर्वाण के संबंध में बड़ा ही दुर्लभ संयोग प्राप्त होता है। यानी जिस वैशाख पूर्णिमा में इनका जन्म हुआ उसी में आत्मज्ञान और उसी में मृत्यु भी हुई। कहते है कि भगवान बुद्ध ज्ञान यानी सत्य की तलाश में जंगल आदि में लगातार 07 वर्षो तक भ्रमण करते रहे थे। तथा इस दौरान ध्यान योग एवं भगवान की कड़ी तपस्या की थी। भगवान बुद्ध 483 ई0 पू. में 80 वर्ष की आयु में ही निर्वाण उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में प्राप्त किया था। अपने उच्च कोटि के ज्ञान एवं शिक्षाओं के कारण सभी के लिये पूज्य एवं परम स्मरणीय हैं। भारत के अतिरिक्त नेपाल, चीन, वियतनाम, सिंगापुर थाइलैंड, जापान मलेशिया, कंबोड़िया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया सहित विश्व के अनेक देशो में भगवान बुद्ध जयन्ती को वड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

भगवान बुध एवं बोध गया

भगवान बुध का नाम आते ही बोध गया का अत्यंत पवित्र स्थान जहा उन्हें बुदृधत्व ज्ञान मिला था। बिहार के इस बोधगया का नाम आता है। उन्हे इस महान वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। वह बोधि वृक्ष इनके ज्ञान का वाहक बना। तभी से यह वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि बुद्ध पूर्णिमा के नाम यानी भगवान बुध जयंती से प्रसिद्ध हुई है। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली में प्रति वर्ष एक महीने के लिये मेले का आयोजन किया जाता है। हालांकि इसे गौतम बुद्ध से जोड़कर भी देखा जाता है। यहा भगवान का बुध का मंदिर बड़ी ही सुन्दर आकृति में बना है। ऐसा कहा जाता है। कि भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार यहीं किया गया था। इस प्रकार बौद्ध को मानने वाले लोग यहा आकर भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते हैं। तथा उन्हें माला पुष्पादि अर्पित करते हैं। तथा इस वृक्ष की जड़ों में मीठा एवं स्वाष्दिट जल चढ़ाया जाता है। तथा धूप दीप जलाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इस तिथि में देश एवं विदेश से लोग गया आते हैं। तथा बौध धर्म के ग्रन्थों का पाठन एवं पाठन किया जाता है। तथा शुभ एवं अच्छे कार्यो को किया जाता है। गरीब एवं अनाथों को दान एवं वस्त्रादि दान में दिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त 08 एवं 09 मई को भी थाईलैंड, श्रीलंका में भगवान बुद्ध जयन्ती मनाई जाती है। यानी देश एवं देशान्तर से बुध जयंती के अवसर पर लोग बिहार प्रान्त के बोधिगया स्थिति स्थान पर एकतित्र होकर उनकी पूजा अर्चना बड़े ही विधि विधान से भाव पूर्वक करते हैं। तथा अपने जीवन में आत्म बोध तथा सत्य की ओर अग्रसर होने का वचन भी इस जयन्ती में लेकर भगवान बुध को सच्ची श्रद्धांजली देने का काम करते हैं। संक्षेप कह सकते हैं कि भगवान बुध की यह जयंती अपने आप अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गौरवशाली परम्परा की वाहक है।

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