हनुमान जयंती पर विशेष
Published On : April 10, 2025 | Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant
हनुमान जयंती: शक्ति, भक्ति और आस्था का पावन पर्व’
हनुमान जयंती भारत में मनाया जाने वाला एक शुभ और पवित्र पर्व है। यह भगवान हनुमान के जन्मदिवस के रूप में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को भक्त विशेष मानते हैं। वे संकटमोचन की कृपा पाने के लिए उपवास करते हैं। मंदिरों में दर्शन करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाई जाती है?
भारत के विभिन्न भागों में हनुमान जयंती की तिथि अलग-अलग होती है।
उत्तर भारत में इसे चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है।
दक्षिण भारत में यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जब माता सीता ने हनुमान जी को अमरता का वरदान दिया था।
हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ? (हनुमान जन्म कथा)
हनुमान जी का जन्म वानर राजा केसरी और माता अंजना के घर हुआ था। माता अंजना ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें वरदान दिया।
एक अन्य कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में माता अंजना अप्सरा पुंजिकस्थला थीं जिन्हें ऋषि दुर्वासा ने बंदर बनने का श्राप दिया था। इस श्राप के फलस्वरूप वे धरती पर अंजना के रूप में जन्मीं और केसरी से विवाह किया।
पवन देव के सहयोग से माता अंजना ने हनुमान जी को जन्म दिया। इसीलिए उन्हें “पवनपुत्र” कहा जाता है।
हनुमान जयंती का महत्व और धार्मिक मान्यता
हनुमान जयंती के दिन भक्तगण लाल सिंदूर, चने, पीपल के पत्ते, लड्डू और लाल फूल अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा से:
• जीवन के संकट दूर होते हैं।
• शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
• इच्छाएं पूरी होती हैं।
• श्रीराम नाम जप करने पर हनुमान जी साक्षात् प्रकट होते हैं।
हनुमान जी राम के सबसे प्रिय भक्त क्यों हैं?
रामायण में हनुमान जी की भक्ति, बल और सेवा भावना अद्वितीय है। उन्होंने सीता माता की खोज, लंका दहन और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की रक्षा जैसे कई असाधारण कार्य किए।
एक प्रसिद्ध प्रसंग में, जब श्रीराम ने उन्हें मोतियों की माला दी, तो उन्होंने हर मोती को चीरकर देखा कि उसमें राम नाम है या नहीं। उन्होंने अपना सीना चीरकर दिखाया कि उनके हृदय में श्रीराम और सीता साक्षात विराजमान हैं।
हनुमान जयंती व्रत कैसे करें? (व्रत विधि)
हनुमान जयंती पर व्रत रखने से मानसिक शांति, आत्मबल और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है। व्रत की विधि इस प्रकार है:
• स्नान और संकल्प – सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
• पूजन सामग्री – सिंदूर, चमेली का तेल, गुलाब या लाल फूल, चने, लड्डू।
• मंत्र जप – हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड का पाठ करें।
• राम नाम स्मरण – “श्रीराम जय राम जय जय राम” का जाप करें।
• प्रसाद वितरण – व्रत का समापन संध्या के बाद प्रसाद ग्रहण कर करें।
हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का महत्त्व
हनुमान जयंती पर 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
बजरंग बाण, हनुमान अष्टक और संकटमोचन स्तोत्र पढ़ने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।
क्या हनुमान जी आज भी जीवित हैं?
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी अमर (चिरंजीवी) हैं।
• श्रीराम ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जब तक राम नाम रहेगा, वे इस पृथ्वी पर रहेंगे।
• आज भी यह विश्वास है कि वे गंधमादन पर्वत पर रहते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं।
• कुछ साधु-संतों का मानना है कि वे हर 41 वर्षों में श्रीलंका के एक जनजातीय क्षेत्र में प्रकट होते हैं।
हनुमान जयंती की शुभकामनाएं: आस्था और शक्ति का पर्व
हनुमान जयंती पर व्रत रखें और पूजा करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे जीवन में बल, बुद्धि और भक्ति की वृद्धि होती है।
यह दिन केवल पूजा का नहीं, बल्कि आत्मबल और भक्ति की शक्ति का प्रतीक है।
यदि आप घर में हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करना चाहते हैं, तो यह समय अत्यंत शुभ है।
हनुमान जयंती 2025
हनुमान जयंती 2025 का पावन पर्व इस वर्ष शनिवार, 12 अप्रैल 2025 को पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा। यह दिन संकटमोचन श्री हनुमान जी के दिव्य अवतरण की स्मृति में समर्पित है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 12 अप्रैल 2025, सुबह 03:21 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 13 अप्रैल 2025, सुबह 05:51 बजे
इस शुभ अवसर पर सभी भक्तों को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान हनुमान आपको शक्ति, बुद्धि, साहस और भक्ति प्रदान करें।
आइए, हम सब मिलकर श्री हनुमान जी की पूजा, पाठ और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान हनुमान का जन्मोत्सव को भक्ति भाव से मनाएं।
हनुमान जयंती 2025 की शुभकामनाएं । जय बजरंग बली!