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मां स्कंदमाता के बारे मे

Published On : April 2, 2025  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

मां स्कंदमाता की पूजा: नवरात्रि के पांचवे दिन का महत्व

नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप, मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। यह देवी मातृत्व प्रेम, करुणा और संतति सुख की प्रतीक हैं। स्कंद अर्थात् कार्तिकेय और माता यानी मां— इस रूप में देवी अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिए हुए दर्शायी जाती हैं। मां स्कंदमाता की उपासना से संतान सुख, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां स्कंदमाता की कथा, स्वरूप और महिमा के बारे में…

मां स्कंदमाता का परिचय

मां स्कंदमाता वही देवी हैं जिन्होंने भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण किया। स्कंद को देवताओं का सेनापति कहा जाता है। इस रूप में मां स्कंदमाता न केवल एक मां के रूप में पूजनीय हैं, बल्कि वीरता और शौर्य की जननी के रूप में भी मानी जाती हैं।

यह देवी शांति, करुणा, स्नेह और मातृत्व की प्रतिमूर्ति हैं। भक्तों के प्रति इनका प्रेम भी वैसा ही होता है जैसे एक मां अपने पुत्र के प्रति रखती है।

पौराणिक कथा: कार्तिकेय की मां

जब तारकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था, तब ब्रह्मा जी ने भविष्यवाणी की कि केवल शिव-पुत्र ही उसे मार सकता है। तब भगवान शिव और मां पार्वती के तप से पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) का जन्म हुआ।

बालक स्कंद को मां स्कंदमाता ने बहुत स्नेह और ममता से पाला और उन्हें शक्ति, ज्ञान तथा शौर्य प्रदान किया। आगे चलकर स्कंद ने ही तारकासुर का वध किया।

मां स्कंदमाता इसीलिए केवल माता ही नहीं, बल्कि शक्ति और विजय की अधिष्ठात्री देवी भी मानी जाती हैं।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

1. मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है।
2. इनके चार भुजाएं हैं— दो हाथों में कमल पुष्प, एक में भगवान स्कंद, और एक आशीर्वाद मुद्रा में होता है।
3. इनका वाहन सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है।
4. इनका मुखमंडल शांत, तेजस्वी और मातृत्व करुणा से भरा होता है।

मां स्कंदमाता की उपासना का महत्व

मां स्कंदमाता की पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा, पारिवारिक सुख-शांति, और बुद्धि-विवेक की प्राप्ति होती है। यह देवी भक्तों को ज्ञान, अध्यात्म और भक्ति का मार्ग दिखाती हैं।

इनकी कृपा से भक्त की कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है और साधक आध्यात्मिक ऊँचाइयों की ओर अग्रसर होता है। इनकी आराधना से चित्त स्थिर होता है और चिंता व भय से मुक्ति मिलती है।

मां स्कंदमाता का मंत्र

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

FAQs – मां स्कंदमाता पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. मां स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के किस दिन होती है?
मां स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है।

2. मां स्कंदमाता कौन हैं?
मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और करुणा, मातृत्व और शक्ति की देवी मानी जाती हैं।

3. मां स्कंदमाता का स्वरूप कैसा होता है?
ये कमल पर विराजमान होती हैं, सिंह की सवारी करती हैं और चार भुजाएं होती हैं।

4. मां स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ होता है?
इनकी पूजा से संतान सुख, मानसिक शांति, पारिवारिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

5. मां स्कंदमाता के हाथों में क्या होता है?
दो हाथों में कमल पुष्प, एक में भगवान स्कंद और एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में होता है।

6. मां स्कंदमाता का वाहन क्या है?
इनका वाहन सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है।

7. मां स्कंदमाता से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा क्या है?
तारकासुर के वध के लिए भगवान स्कंद का जन्म हुआ, जिनका पालन-पोषण मां स्कंदमाता ने किया।

यह भी पढ़ना न भूलें:
मां कात्यायनी के बारे मे और माँ कालरात्रि के बारे मे और मां महागौरी के बारे मे 

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