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मां सिद्धिदात्री के बारे मे

Published On : April 2, 2025  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

मां सिद्धिदात्री की पूजा: नवरात्रि के नौवें दिन का महत्व

नवरात्रि के नवें दिन मां दुर्गा के नवें और अंतिम स्वरूप, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह देवी समस्त सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं और साधक को आध्यात्मिक उन्नति, सिद्धि, ज्ञान और विवेक प्रदान करती हैं। मां सिद्धिदात्री की आराधना से सभी प्रकार की शक्तियों की प्राप्ति होती है। यह देवी न केवल भक्तों बल्कि देवताओं, गंधर्वों, असुरों और सिद्धों को भी सिद्धियां प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की कथा, स्वरूप और महिमा के बारे में…

मां सिद्धिदात्री का परिचय

‘सिद्धि’ का अर्थ होता है—आध्यात्मिक और चमत्कारिक शक्तियां। ‘दात्री’ का अर्थ है—देनहार। अतः सिद्धिदात्री वह देवी हैं जो अष्ट सिद्धियां—अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व—को प्रदान करती हैं।

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने भी इनकी कृपा से ही सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं और तभी से वे अर्धनारीश्वर रूप में जाने गए, जिसमें आधा शरीर मां सिद्धिदात्री का और आधा शिव का है।

यह देवी पूर्णता, ब्रह्मज्ञान और मोक्ष की अधिष्ठात्री हैं। इनकी कृपा से साधक को योग, ध्यान और तप की सफलता प्राप्त होती है।

पौराणिक कथा: शिव को सिद्धियों की प्राप्ति

सृष्टि की उत्पत्ति के समय जब कुछ भी नहीं था, केवल अंधकार और ऊर्जा का खेल था, तब आदिशक्ति मां दुर्गा ने स्वयं को सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट किया। उन्होंने देवताओं, ऋषियों, सिद्धों और यहां तक कि भगवान शिव को भी अष्ट सिद्धियां प्रदान कीं।

भगवान शिव ने जब इन सिद्धियों की प्राप्ति की, तब उनका आधा शरीर स्त्रीरूप में परिवर्तित हो गया और वे अर्धनारीश्वर कहलाए। यह दर्शाता है कि शिव और शक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

1. मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं।
2. वे कमल पुष्प पर विराजमान रहती हैं।
3. उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल होता है।
4. इनका वाहन सिंह या सिंहासन पर स्थित कमल माना गया है।
5. इनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी, करुणामयी और दिव्य ज्ञान से भरपूर होता है।

मां सिद्धिदात्री की उपासना का महत्व

मां सिद्धिदात्री की उपासना से साधक को अष्ट सिद्धियों के साथ-साथ आत्मसाक्षात्कार, बुद्धि, विवेक और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से सभी प्रकार की तंत्र-बाधाएं, मानसिक क्लेश, सांसारिक मोह और भ्रम समाप्त होते हैं।

जो साधक उच्च स्तर की साधना, तप या ध्यान में रत हैं, उनके लिए यह देवी विशेष फलदायी हैं। ये साधक के जीवन में आध्यात्मिक प्रकाश का संचार करती हैं और उसे ब्रह्मलोक तक ले जाने वाली शक्ति प्रदान करती हैं।

मां सिद्धिदात्री का मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

FAQs: मां सिद्धिदात्री की पूजा से जुड़े प्रश्न

मां सिद्धिदात्री कौन हैं?
मां सिद्धिदात्री नवरात्रि की नवमी तिथि पर पूजी जाती हैं, जो सभी अष्ट सिद्धियों की दात्री हैं।

‘सिद्धिदात्री’ शब्द का क्या अर्थ है?
‘सिद्धि’ का अर्थ है आध्यात्मिक शक्तियां और ‘दात्री’ का अर्थ है देने वाली—यानी सिद्धियों की दात्री।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप कैसा होता है?
इनकी चार भुजाएं होती हैं, वे कमल पर विराजमान रहती हैं और उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा व कमल होते हैं।

मां सिद्धिदात्री की पूजा क्यों की जाती है?
इनकी पूजा से साधक को सिद्धियां, आत्मज्ञान, विवेक, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव का मां सिद्धिदात्री से क्या संबंध है?
भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री से ही अष्ट सिद्धियां प्राप्त कीं और वे अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए।

मां सिद्धिदात्री किसे सिद्धियां प्रदान करती हैं?
ये न केवल भक्तों को, बल्कि देवताओं, असुरों, गंधर्वों और सिद्धों को भी सिद्धियां प्रदान करती हैं।

मां सिद्धिदात्री की आराधना से क्या लाभ होता है?
आराधना से साधना में सफलता, आध्यात्मिक उन्नति, भ्रम और मोह से मुक्ति व ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

यह भी पढ़ें:
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