हिन्दी

मां कूष्मांडा के बारे मे

Published On : March 31, 2025  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

मां कूष्मांडा की पूजा: नवरात्रि के चौथे दिन का महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। यह देवी ब्रह्मांड की सृजनकर्ता मानी जाती हैं। मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से सृष्टि की उत्पत्ति हुई, इसलिए इन्हें “ब्रह्मांड जननी” कहा गया। इनकी उपासना से साधक को ऊर्जा, आयु, यश, बल और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस सृजनकारी देवी की कथा, स्वरूप और महिमा के बारे में…

मां कूष्मांडा का परिचय

संस्कृत में ‘कू’ का अर्थ है ‘थोड़ा’, ‘उष्मा’ का अर्थ है ‘ऊष्मा’ या ‘ऊर्जा’ और ‘अंड’ का अर्थ है ‘ब्रह्मांड’। अतः मां कूष्मांडा वह देवी हैं जिन्होंने अपनी मंद मुस्कान द्वारा ऊर्जा का संचार करके इस ब्रह्मांड की रचना की।

यह देवी आदिशक्ति के उस रूप को दर्शाती हैं जिसमें उन्होंने शून्य और अंधकार से सृष्टि की रचना की। देवी की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन होती है क्योंकि यह दिन सृजन, प्रकाश और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है।

पौराणिक कथा: सृष्टि की रचयिता देवी

पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था— केवल अंधकार और शून्यता थी— तब मां कूष्मांडा ने अपने दिव्य तेज और मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। उन्होंने अपने तेज से सूर्य मंडल को उत्पन्न किया और सृष्टि में प्रकाश फैलाया।

देवताओं, असुरों, मनुष्यों, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की उत्पत्ति में भी मां कूष्मांडा की शक्ति निहित है। सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए यह देवी हमेशा सक्रिय रहती हैं।

मां कूष्मांडा का स्वरूप

1. मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली देवी हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है।
2. उनके हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत-कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है।
3. यह देवी सिंह पर सवार होती हैं।
4. उनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी, प्रकाशमान और सृजनात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है।
5. इनकी मुस्कान सृष्टि को जीवन और प्रकाश प्रदान करती है।

मां कूष्मांडा की उपासना का महत्व

मां कूष्मांडा की पूजा से साधक को आयु, बल, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो लोग जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सृजनात्मकता और नए आरंभ की तलाश में हैं, उनके लिए यह देवी अत्यंत कल्याणकारी हैं।

इनकी आराधना से रोग, शोक, भय और बाधाएं दूर होती हैं तथा जीवन में उत्साह और रचनात्मक शक्ति का संचार होता है। यह देवी अनंत ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए साधना में इनकी कृपा से साधक को असीम ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां कूष्मांडा का मंत्र

ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे॥

FAQs – मां कूष्मांडा की पूजा से जुड़ी जानकारियां

नवरात्रि के चौथे दिन किस देवी की पूजा होती है?
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं।

मां कूष्मांडा का नाम किस अर्थ को दर्शाता है?
‘कूष्मांडा’ शब्द का अर्थ है– वह देवी जिन्होंने हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की।

मां कूष्मांडा का स्वरूप कैसा होता है?
यह देवी आठ भुजाओं वाली होती हैं, सिंह पर सवार रहती हैं और तेजस्वी व प्रकाशमान स्वरूप की प्रतीक हैं।

मां कूष्मांडा के हाथों में कौन-कौन से आयुध होते हैं?
कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत-कलश, चक्र, गदा और जपमाला।

मां कूष्मांडा की पूजा से क्या लाभ होता है?
उनकी उपासना से आयु, बल, स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड जननी क्यों कहा जाता है?
क्योंकि उन्होंने अंधकार और शून्यता से ब्रह्मांड की सृष्टि की और उसमें प्रकाश फैलाया।

किन लोगों को मां कूष्मांडा की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए?
जो लोग नए आरंभ, ऊर्जा, सृजनात्मकता और बाधा-मुक्त जीवन की कामना रखते हैं।

पढ़ना न भूलें:
मां स्कंदमाता के बारे मे और मां कात्यायनी के बारे मे और माँ कालरात्रि के बारे मे

Blog Category

Trending Blog

Recent Blog


TRUSTED SINCE 2000

Trusted Since 2000

MILLIONS OF HAPPY CUSTOMERS

Millions Of Happy Customers

USERS FROM WORLDWIDE

Users From Worldwide

EFFECTIVE SOLUTIONS

Effective Solutions

PRIVACY GURANTEED

Privacy Guaranteed

SAFE SECURE

Safe Secure

© Copyright of PavitraJyotish.com (PHS Pvt. Ltd.) 2025