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माँ कालरात्रि के बारे मे

Published On : April 2, 2025  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

मां कालरात्रि की पूजा: नवरात्रि के सातवें दिन का महत्व

नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह देवी काल, तामस और अज्ञान के विनाश की शक्ति मानी जाती हैं। इनका स्वरूप भयंकर अवश्य है, परंतु ये अत्यंत कल्याणकारी हैं, इसलिए इन्हें ‘शुभंकारी’ भी कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना से तांत्रिक प्रभाव, भय, शत्रु बाधा और दुर्भाग्य का नाश होता है। आइए जानते हैं इस रौद्र और दिव्य देवी की कथा, स्वरूप और महिमा के बारे में…

मां कालरात्रि का परिचय

मां कालरात्रि का स्वरूप भयावह है, किंतु वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत शुभफलदायिनी हैं। इनका शरीर काला है, बाल बिखरे हुए हैं, तीन नेत्र हैं और श्वासों से अग्नि निकलती है। यह देवी तमोगुण का विनाश करती हैं और साधक को आध्यात्मिक प्रकाश की ओर ले जाती हैं।

इनका नाम “कालरात्रि” इसलिए पड़ा क्योंकि ये काल (मृत्यु), अंधकार और भय को नष्ट करती हैं। यह देवी रात्रि की भांति गहन प्रतीत होती हैं, परंतु अज्ञान के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान और आत्मबल का प्रकाश देती हैं।

पौराणिक कथा: शुंभ-निशुंभ का विनाश

देवी कालरात्रि का संबंध शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे असुरों के वध से भी है। जब मां दुर्गा ने रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न हो रहे हजारों रक्तबीजों को नष्ट नहीं कर पा रही थीं, तब उन्होंने अपने भीतर से देवी कालरात्रि को प्रकट किया। मां कालरात्रि ने रक्तबीज का रक्त पीकर उसे समाप्त कर दिया।

यह रूप दर्शाता है कि देवी केवल सौम्यता की नहीं, बल्कि रौद्र रूप की भी धारिणी हैं और जब अधर्म चरम पर होता है, तब वे विकराल रूप लेकर उसका विनाश करती हैं।

मां कालरात्रि का स्वरूप

1. मां कालरात्रि का रंग गहरा काला होता है।
2. उनके बिखरे हुए बाल, तीन नेत्र, और अग्निवर्षी श्वास उन्हें अति भयानक स्वरूप प्रदान करते हैं।
3. वे गधे (गर्दभ) पर सवार होती हैं।
5. इनके चार हाथों में से एक में तलवार, दूसरे में वज्र, तीसरा वर मुद्रा में और चौथा अभय मुद्रा में होता है।
6. यह स्वरूप भय को नष्ट करने वाला और साधक को निर्भीक बनाने वाला है।

मां कालरात्रि की उपासना का महत्व

मां कालरात्रि की उपासना से साधक को भय, काल, तांत्रिक बाधाओं, बुरे स्वप्नों, भूत-प्रेत बाधा, ग्रह दोष और शत्रु से मुक्ति मिलती है। यह साधना विशेषकर उन लोगों के लिए लाभकारी होती है जो तंत्र-साधना, ध्यान, योग या गूढ़ विद्याओं में लिप्त होते हैं।

इनकी कृपा से जीवन में साहस, सुरक्षा, बल और आत्मज्ञान का संचार होता है। मां कालरात्रि का पूजन साधक के जीवन में छिपी बाधाओं को दूर कर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।

मां कालरात्रि का मंत्र

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

FAQs: मां कालरात्रि पूजा से जुड़े प्रश्न

नवरात्रि के सातवें दिन किस देवी की पूजा की जाती है?
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।

मां कालरात्रि को ‘शुभंकारी’ क्यों कहा जाता है?
हालांकि उनका स्वरूप भयावह है, परंतु वे भक्तों को शुभ फल देने वाली देवी मानी जाती हैं।

मां कालरात्रि का स्वरूप कैसा होता है?
उनका रंग काला होता है, बाल बिखरे होते हैं, तीन नेत्र होते हैं और श्वासों से अग्नि निकलती है।

मां कालरात्रि किस वाहन पर सवार होती हैं?
मां कालरात्रि गर्दभ (गधे) पर सवार होती हैं।

मां कालरात्रि की उपासना से क्या लाभ होता है?
इनकी पूजा से भय, शत्रु, तांत्रिक प्रभाव, भूत-प्रेत बाधा और दुर्भाग्य का नाश होता है।

मां कालरात्रि से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा कौन-सी है?
शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे असुरों के संहार की कथा देवी कालरात्रि से जुड़ी है।

किन लोगों के लिए मां कालरात्रि की साधना विशेष लाभकारी है?
जो लोग ध्यान, तंत्र-साधना, योग या गूढ़ विद्याओं में लिप्त हैं, उनके लिए यह साधना उपयोगी है।

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