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प्रस्तावना – ज्योतिष एक परिचय

Published On : December 2, 2015  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

भारतीय ज्योतिष शास्त्र  – एक विज्ञान का परिचय

प्राच्य विद्याओं की जननी भारत भूमि में ज्योतिष का उद्भव व विकास आज से कई हजारों वर्ष पूर्व ही हो चुका था। कई भारतीय मानक ग्रंथों में इसकी पुष्टि होती है कि भारतवर्ष ने सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के खातिर ज्योतिष के अद्वितीय ज्ञान को विकसित किया। यद्यपि समय चक्र ने इसे अपने थपेड़ों से चोटिल करने का भरपूर प्रयास किया, किन्तु इसकी उपयोगिता इतनी प्रखर है, कि आज भी यह अपने पुराने रूप में स्थिति है और धरा पर होने वाले कई घटना चक्रों की जानकारी देता है। साथ ही मानव जीवन में घटने वाली घटनाएं सुख-दुःख की बड़ी सटीक जानकारी देकर उन्हें आने वाले दुःखद समय से बचाने का भरपूर प्रयास भी करता है। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा न केवल ब्राह्माण्ड में घटने वाली घटनाओं का सटीक पता चल सकता है अपितु व्यक्ति के जीवन में कब कहाँ कैसी घटना घटित होने वाली है, उसका भी सही पता लगाने की शक्ति ज्योतिष शास्त्र में ही हैं। इसको “कालाश्रितं ज्ञानं” भी कहा जाता है। अर्थात् जो हमारे शुभाशुभ समय का ज्ञान कराएं वही ज्योतिष शास्त्र है। आज मानव जीवन में रोग, तनाव, निराशा, जल्दबाजी, असंतोष समाज व परिवार की उपेक्षा जैसे गुणों में निरन्तर वृद्धि इसका संकेत देती हैं कि व्यक्ति अपने शुभाशुभ प्रभावों से अपनी हठवादिता के कारण परिचित ही नही हो   पाता है। जिससे वह कई प्रकार के दुःखों से पीड़ित रहता है।

ज्योतिष का उद्भव

ज्योतिष शास्त्र का उद्भव आज से कई हजारों वर्ष पहले हुआ था। यह अपनी प्रमाणिकता के कारण पूर्व काल में ही तीन स्कन्धों में विभक्त हुआ था। जिसमें सिद्धान्त, संहिता एवं होरा शास्त्र है। किन्तु धीरे-धीरे ज्योतिष और प्रखर व विकसित होता चला गया। जिससे सिद्धान्त में ज्योतिषीय गणना को शामिल किया गया जिससे ग्रह नक्षत्रों की गति, पंचाग निर्माण आदि सहित काल के सूक्ष्म इकाइयों का सृजन किया गया है। संहिता खण्ड में ब्रह्माण्ड में घटित होने वाले घटना क्रम का उल्लेख किया है। जिसमें मेदिनी खण्ड, वर्षाखण्ड तथा शकुन एवं लक्षण विज्ञान का वर्णन किया गया है। होरा शास्त्र व्यक्ति के जीवन से मृत्यु तक होने वाली शुभाशुभ घटनाओं का वर्णन करता है। जिसे फलित ज्योतिष के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार ज्योतिष शास्त्र का क्रमिक विकास होता चला गया है। और आज भी हम इसके उपयोग से लाभान्वित हो रहे हैं। ज्योतिष के पूर्व के प्रवर्तकों में पराशर, नारद, जैमिनी, वराहमिहिर आदि अनेकानेक नामचीन ऋषि है। जिन्होंने इस शास्त्र को अधिक सारगर्भित व उपयोगी बनाने में अपना योगदान दिया है।

ज्योतिष की प्रमाणिकता

ज्योतिष शास्त्र युगों से अपनी सटीक भविष्यवाणी के लिए मशहूर रहा है। आज भी भारतीय पंचागों में दिए गए प्रतिदिन के सूर्योंदय व सूर्यास्त के समय सहित सूर्य व चंद्र ग्रहण की घटनाएं उस देश व काल में निर्धारित समय पर होती है। जिससे आज का विज्ञान जगत भी आश्चर्य में हैं। अर्थात् काल गणना ही नहीं, अपितु फलित के क्षेत्र में ऐसी अनगिनत घटनाएं हैं, जो क्रमशः सत्य हुई हैं, जिससे ज्योतिष शास्त्र स्वतः ही प्रमाणित है। व्यक्ति जीवन में जन्म, रोग, प्रगति, शादी, विवाह, पद, प्रतिष्ठा, संतान, मित्र, शत्रु आदि अनेक विषयों की अनेकों भविष्यवाणियां अक्षरशः सत्य हुई है। जिससे आज भी यह शास्त्र प्रमाणित एवं प्रमाणिक है।

ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता

ज्योतिष शास्त्र मानव कल्याण की एक अनुपम विद्या है। जिससे व्यक्ति अपने जीवन में घटित होने वाली सुखद व दुखद घटनाओं का पूर्व में पता लगा लेता है। अर्थात् आज हम भले ही विकास के उच्च स्तर पर हो पर बिना ज्योतिष के हमारा जीवन पंगु सा प्रतीत होता है। अर्थात हम अनेक भयावह घटनाओं से ज्योतिष के माध्यम से ही बच सकते हैं और आने वाले जीवन को सुखद व सुन्दर बना सकते हैं। अर्थात् ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रत्येक युग में रहेगी। चाहे वह जिस देश की सीमा हो, जिस जाति या धर्म का हो, उसे ज्योतिषीय पहलुओं की अनदेखी निश्चित ही भारी पड़ सकती है।

ज्योतिष का उपयोग कर किस प्रकार सुखी जीवन बिताये

जब से इस धरा पर मानव अवतरित हुआ है, तब से आज तक जीवन को सुखद व समृद्ध बनाने की नाना प्रकार की चुनौतियां उसके सामने आती रही हैं। चाहे व क्रमिक घटनाएं हो या फिर आकस्मिक घटनाएं हो या फिर कुछ अन्तराल के बाद घटने वाली घटनाएं या बीमारियां हो, उनसे मानव सदैव दो-चार होता रहा है। मानव जीवन न केवल दुर्लभ है, बल्कि अनमोल भी है। भारत भूमि में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुरविधि पुरूषार्थ को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के उद्देश्यों की ओर इंगित करते हैं। किन्तु बिना ज्योतिष के उपयोग के न तो मानव जीवन सुखी हो सकता है और न ही चतुर विधि पुरूषार्थ को प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात् जीवन को सुखी व सम्पन्न बनाने हेतु हमें संबंधित पहलुओं की पड़ताल संबंधित विशेषज्ञ आचार्यों द्वारा करवानी चाहिए। जैसे आपके जन्मांक में कौन से ग्रह नक्षत्रों का शुभाशुभ प्रभाव चल रहा है। आप किस ग्रह नक्षत्र का उपाय व जाप पूजन करें। जिससे उसके द्वारा आपको सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो और संबंधित क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित करने में सफलता हो। अर्थात् यदि आप इन छोटी-छोटी किन्तु उपयोगी बातों को ध्यान मे रखें, तो आप अपने पारिवार के सहित सुखी जीवन बिताने में कामयाब रहेंगे।

सरांश

ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मानव जीवन को उपयोगी व सुखद बनाने का क्रम अति प्राचीन है। धरा में मानवता के कल्याण हेतु ज्योतिष शास्त्र का प्रयोग होता चला आ रहा है। चाहे वह आंधी, तूफान, वर्षा, हिमपात, उत्पादन, जल की बात हो या फिर व्यक्ति के जीवन की व्यक्तिगत घटनाएं हो। ज्योतिषीय ज्ञान के द्वारा ही इन घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने तथा संबंधित घटनाओं से बचने में सहयोग प्राप्त होता है। अर्थात् हमें अपने व अपने परिवार के हितार्थ जन्मांक के विविध शुभाशुभ पहलुओं का पता लगाना चाहिए और समय रहते उनका उपचार करना ही चाहिए।

पवित्र ज्योतिष केंद्र आपके सुखी एवं समृद्ध जीवन की मंगलमय कामना करता है ।

यह भी अवश्य पढ़ें: भारतीय वैदिक ज्योतिष

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