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नारद मुनि जयंती

Published On : April 19, 2024  |  Author : Astrologer Pt Umesh Chandra Pant

जानिए नारद मुनि के बारे में

हिन्दू धर्म के परम पवित्र महान मुनि एवं संवाद की सर्वोत्कृष्ट भूमिका में रहने वाले देवर्षि महर्षि नारद का नाम भला कौन नहीं जानता है। अपने ज्ञान एवं कठिन तपस्या के द्वारा यह पौराणिक काल से ही अत्यंत विख्यात है। धर्म शास्त्रों के अनुसार परम पिता ब्रह्मा के छः पुत्रों में देवर्षि महर्षि नारद प्रमुख है। उन्होंने कठोर तप के द्वारा दवर्षि का पद प्राप्त किया था। यह भगवान विष्णू के अनन्य भक्तों में से एक हैं। यह अत्यंत धर्मज्ञ एवं जनकल्याण की भावना से प्रेरित है। जिससे लोगों के हितार्थ यह अनेको सफल प्रयासों के द्वारा श्री हरि विष्णू के श्रीमुख से लोगों की भलाई के उपाय एवं व्रत कथा आदि को पूछते है जिसके पालन एवं श्रवण से लोगों का कल्याण होता है। भगवान का मन होने के कारण यह सदैव सभी युगों एवं लोगों में अपना स्थान बनाये हुये रहते हैं। द्वापर युग मे भगवान श्रीकृष्ण ने इनके महत्व को स्वीकार करते हुये कथा था। कि अपने विराट रूप में देवर्षियों में मै नारद हूँ। इसी प्रकार इनके संबंध में श्रीमद्भावत महापुराण के अनुसार सृष्टि में भगवान श्री हरि विष्णू ने नारद मुनि के रूप में अपने आप को प्रकट किया था। यह मुनियों के देवता हैं। क्योंकि इन्होंने सत्य मार्ग पर चलते हुये सदैव अच्छे कर्म एवं परोपकार कामों को महत्व दिया था। नारद जी जहाँ अपने आप को श्रेष्ठ संवाददाता के रूप में स्थापित किये हुये है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के भी अग्रणी एवं पहुंचे हुये साधकों में सर्वोत्कृष्ट हैं। इनका ज्ञान इतना समृद्ध एवं विशाल है। कि यह इस एवं परलोक में घटने वाली घटनाओं का बड़ा ही सटीक ज्ञान कर लेते है। और भूत भविष्य एवं वर्तमान के संबंध के मामलों में ज्ञाता हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार अपनी स्वेच्छा से कहीं भी आने-जाने में सक्षम एवं जहाँ चाहते हैं। वहीं बड़ी तीव्रता के साथ पहुंच भी जाते हैं। उनके तप, ज्ञान एवं शील की ऐसी क्षमता जो अन्य ऋषियों में खोजने से भी नहीं प्राप्त होती है। जिस कारण इन्हें नादर मुनि भी कहा जाता है। इसी प्रकार महाभारत में नारद जी के विषय में कहा जाता है। कि वह वेद एवं वेदांगों में दक्ष तथा न्याय शास्त्र को जानने वाले महान नीतिज्ञ एवं धर्मज्ञ तथा महान योगी और सम्पूर्ण लोगों को ध्यान लगाकर उनमें घटित होने वाली घटनाओं के संदर्भ में जानने वाले है। इन्हें संगीत एवं गीत अति प्रिय होता है। इसलिये इनके चित्रों एवं प्रतिमाओं में वीणा जो कि एक प्रकार का वाद्य यंत्र है। को धारण किये हुये रहते हैं। देवताओ के गुरू वृहस्पति के शंसय को दूर करने वाले तथा नीतिज्ञ एवं महान बुद्धि वाले हैं। नारद मुनि जयंती: देवर्षि नारद की जयंती, भक्ति व ज्ञान का प्रतीक।

नारद जी एवं उनकी शिक्षायें

देवर्षि नारद जी ने सदैव सत्य एवं ज्ञान के प्रकाश को ही इस संसार में फैलाया था। तथा देवताओं सहित राक्षसों का भी सत्य से साक्षात्कार कराने वाले तथा। सभी विद्याओं के ज्ञाता एवं सभी के हित साधक तथा वैराग्य के द्वारा आत्म साक्षात्कार की शिक्षायें नारद जी के लिये सर्वोपयोगी एवं सभी के लिये हितकारी हैं। नारद पुराण हमारे अट्ठारह महापुराणों में प्रमुख है। इस समय जो नारद पुराण मिल रहा है। उसमें कुछ श्लोको का लोप हो गया है। और अब उनमें मात्र 22000 हजार श्लोकों का अद्भुत संग्रह प्राप्त होता है। नारद मुनि जयंती धार्मिक उत्सव, भक्ति, संगीत, ज्ञान, संवाद, विचित्र कथा, विशेष पूजा, आध्यात्मिक प्रवचन।

नारद जी की शिक्षायें एवं ज्ञान

इनता प्रगाढ़ एवं प्रबल है। जिसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन को धन्य बना सकता है। तथा उपकारी जीवन की राह पर चलते हुये अपने को चिर स्मरणीय भी बना सकता है। देवर्षि नारद जी भगवान विष्णू के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा रखने वाले हैं। तथा हर वक्त उनके नाम कीर्तन का स्मरण श्री नारायण श्री नारायण जप करते रहते हैं।

नारद मुनि एवं वर्तमान समय मे उनका चित्रण

हिन्दू धर्म के अनेक ग्रन्थों एवं कथाओं में नारद जी बड़ा ही सजीव वर्णन देखने को प्राप्त होता है। आज कल कई नाटकों एवं संवादों मे नारद मुनि की उपिस्थित का चित्रण बड़ा ही खूब किया गया है। जिससे नारद जी वर्तमान समय में भी उतने ही लोकप्रिय है। जैसे कि पहले थे। हालांकि कुछ लोग उन्हें कई बार अपनी अज्ञानता वश आपसी झगड़े करवाने वाला मान लेते है। जिससे उन्हें इसका अपराध होता है। क्योंकि देवर्षि नादर की छवि ऐसी कतई नहीं है। वह सदैव धर्म एवं सत्य के प्रति अड़िग रहे हैं। और उसके प्रचार प्रसार में उन्हें जो भी कदम उठाने पड़े उन्होंने उठाया था। क्योंकि यह ईश्वर के अवतार है। और जन कल्याण हेतु इस मृत्यु लोक सहित देवलोक में विचरण करते हैं। और सफल संवाद के संवाहक भी नारद मुनि है। अथर्ववेद ने इन्हें एक ऋषि की संज्ञा दी है। इस प्रकार मैत्रायणी संहिता, भारत ऐतरेय ब्राह्मण आदि में नारद मुनि के संबंध में अनेकों रोचक जानकारियां प्राप्त होती है। जो हर प्रकार के मनुष्य जीवन के लिये उपयोगी एवं कारगर हैं। नारद स्मृति एवं नारद पंचरात्र में प्रसिद्ध दस महाविद्यओं का वर्णन बड़ा ही रोचक एवं ज्ञान वर्धक है। नारद मुनि जयंती: संगीत, भक्ति, ज्ञान, कल्याण, संदेशवाहक, त्रिकालदर्शी, चतुर, शांति, संत, प्रेरक।

नारद मुनि की कुछ प्रचिलित कथायें

एक बार की बात है जब द्वापर युग में कंस अपनी चचेरी बहन देवकी को बड़े ही लाड़ प्यार से उसके ससुराल के लिये पति सहित विदा कर रहा था। तभी आकाशवाणी होती है। कि हे अत्याचारी! कंस तेरा अंत अब निश्चित है। क्योंकि इससे उत्पन्न संतान तेरी मृत्यु का कारण होगी। तेरी बहन का आठवां पुत्र तेरे सभी पापों का हिसाब लेगा और तुझे मार देगा। आदि ऐसे में कंस ने अपने चचेरी बहन को तलवार से मारना चाहा तो उस विकट समय मे नारद जी प्रकट होते हैं। और कहते हैं कि हे कंस! इसे मत मारों तुम भगवान की माया को नहीं जानते हो। वह कहा से और किसे आठवां मान लें। इसलिये तुम इसे छोड़ दो। आदि। इस प्रकार नारद जी के संबंध में अनेकों संवाद प्राप्त होते हैं। इस प्रकार उनकी जन्म जयंती पर अनेक स्थानों में भण्डारों एवं पूजा तथा अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। नारद मुनि की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं! उनका आशीर्वाद सदा साथ रहे।

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